"इच्छा मृत्यु"- सही या गलत ?
"इच्छा मृत्यु" निश्चित रूप से एक ऐसा विषय जिससे हर व्यक्ति व् समाज कि भावनाए व् ,संवेदनाये बहुत ही गहराई से जुडी है! यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर काफी गहराई से विचार करने कि जरुरत है! हालाँकि "इच्छा मृत्यु" शब्द सुनकर ही लोग इस पर विचार करने के विचार को ही सिरे से ही नकार देंगे व् शायद मेरे इस विचार को मेरा दिमागी दिवालियापन भी कह सकते हैं ! पर मेरा ऐसा मानना है कि इस विषय पर एक व्यापक द्रष्टिकोण व् सम्पूर्ण व्यवहारिक सोच व् खुले दिमाग के साथ विचार करने की आवश्यकता है ! हालाँकि कुछ देशों में इस विचार को वैधानिक मान्यता प्राप्त है !भारत में आज भी यह बहस का मुद्दा है !इस बारे में विभिन्न लोगों की अलग अलग राय हो सकती है
इस बारे में मेरी व्यक्तिगत राय यह है कि यदि कोई व्यक्ति सालों से बीमार है व् जिसके बारे में डॉक्टर लोगों ने भी हाथ खड़े कर दिए है! वह व्यक्ति केवल जिन्दा लाश कि तरह मृत्यु शैया पर लेटा है वह स्वंय भी अपनी ऐसी जिन्दगी से तंग आ चूका है व् इलाज में भी पैसा पानी की तरह बह रहा है! घर के लोग भी आर्थिक रूप से सम्पन्न नही है ! लोगों से भी उसका कष्ट देखा नही जा रहा है ऐसे में यदि बीमार व्यक्ति स्वेच्छा से मौत को गले लगाना चाहता है, तो मेरी राय में उसे ऐसा करने कि अनुमति दी जानी चाहिए!
मै जानता हूँ कि यह सब कहने में जितना आसान लग रहा है उतना आसान नही है .क्यों कि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है फिर भी हर कोई अंतिम समय तक मौत से झुझता रहता है !ऐसे में मरते हुए व्यक्ति को स्वयम ही मौत के मुंह में ढकेल देना कठिन ही नही असम्भव है! ऐसे व्यक्ति के घर के लोग इस बात के लिए कभी भी तैयार नही होंगे यदि तैयार हो गये तो जीवन भर अपराध भावना से उबर नही पाएंगे! हालंकि ऐसे व्यक्ति की स्वभाविक मृत्यु होने पर सब लोग यही कहेंगे कि चलो छुटकारा मिला बेचारा बहुत परेशान था!
कुछ लोगों का मानना है इच्छा मृत्यु को वैधानिक स्वरूप मिलने पर इसका दुरूपयोग हो सकता है लेकिन मेरा मत है कि इस बारे में एक खुली बहस की जा सकती है!किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुछ बातें , मसलन जो व्यक्ति इच्छा मृत्यु चाहता है उसकी उम्र क्या है पारिवारिक व् आर्थिक प्रष्ठभूमि कैसी है क्या वह लम्बे समय से बीमार है उस की बीमारी के बारे में डाक्टरों कि क्या राय है , बीमार व्यक्ति के प्रति उसके घर वालों का व्यवहार कैसा है? आदि अनेक बातें है जिन विचार आवश्यक है ! तमाम बुध्हिजीवियों से विचार विमर्श कर इस बारे में सर्व सम्मत(?) या बहुमत के आधार पर निर्णय लेकर एक ऐसा मसौदा तैयार कर उसे वैधानिक स्वरूप दिया जा सकता है! जिसमे इस बात का ध्यान रहे कि इसके दुरूपयोग की किसी भी संभवना को पूरी तरह समाप्त किया जा सके!
लेकिन ये सब बाद कि बातें मुख्य मुद्दा यह है क्या हम, हमारा समाज,हमारी सरकार ऐसी किसी व्यवस्था पर विचार करने के लिए भी मानसिक रूप से तैयार है?
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