Monday, 20 June 2011

शुद्ध पानी वाला दूध

मैंने दूध वाले से कहा, भैया कितना पानी मिलाते हो ? 
वह बोला पानी नहीं मिलायेंगे, तो दूध फट जायेगा !
मैंने कहा मिलाना ही है तो हमारे यहाँ से ले जाया करो 
हम लोग फिल्टर का पीते हैं , कम से कम 
यह तो तसल्ली रहेगी  ,कि शुद्ध पानी वाला दूध पी रहे हैं !
वह बोला साहब ,कोशिश तो हमारी भी यही रहती है,
कि अच्छा ही पानी मिलाएं पर क्या करे, 
धंधे में तो थोड़ी बहुत उंच नीच तो चलती है !
और फिर क्या है साहब, सभी लोग तो,
आपकी तरह फिल्टर का पानी नहीं पीते  !
हम को तो सभी का ख्याल रखना पड़ता है!
वरना कुछ लोग शुद्ध पानी वाला दूध पी कर,
बीमार पड़ गए ,तो हमारी बेवजह  बदनामी होगी  
इसलिए आपकी वजह से हम,
इतनी बड़ी रिस्क नहीं ले सकते !
जमता हो तो, लो नहीं तो,जय राम जी की
मै अवाक सा उस की तरफ देखता रहा  !
अंदर से पत्नी की आवाज आई ,क्या हुआ ?
इतनी देर क्यों हो गयी, जल्दी भी करो  !  
बंटी को स्कूल के लिए, आज भी देर हो जाएगी !
मै काफी देर तक सोचता रहा, मेने गलत क्या कहा था ? 




Friday, 17 June 2011

स्वप्न रंगवितो

मी  स्वप्न रंगवितो ,मी स्वप्न रंगवितो ! 
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो!
मला ठाउक आहे कि,
स्वप्न रंगवायची पण माझी लायकी नाही
कां की मी ह्या जगातला दरिद्री माणुस आहे
तरी ही मी स्वप्न रंगवितो !     
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो !
स्वप्नात तरी, मी बायका व् पोर
पोट भर जेवतो, म्हणून मी स्वप्न रंगवितो ! 
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो !      
मला कोणी झिडकारेल ह्याची भीती नाही 
ह्या करिताच मी स्वप्न रंगवितो  !    
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो !   
मला सकाळ पण नकोशी वाटते
सकाळ झाली कि स्वप्न नाहीसे होतात 
म्हणूनच मी स्वप्न रंगवितो !
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो !
स्वप्नात जगण्याच आनद्च वेगळ असत 
ह्या साठीच मी स्वप्न रंगवितो !
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो !
द्रद्रिद्र्याना पण स्वप्न पाहण्याची  देवा कडून,
फार मोठी देणगी आहे म्हणूनच 
मी स्वप्न रंगवितो ! 
इन्द्रधनुषी स्वप्न रंगवितो !  
  





Thursday, 16 June 2011

समय बड़ा बलवान

हम सभी के जीवन में समय का बड़ा महत्व है ! जिसने जीवन में समय के महत्व को जान लिया उसका जीवन सफल हो गया !मनुष्य को समय के साथ चलना पड़ता जो समय के साथ नहीं चला वह पीछे रह जायगा !अच्छा व् बुरा समय हरेक के  जीवन में आता है जिसने बुरे समय पर विजय प्राप्त कर ली वह हमेशा यशस्वी होता है ! जिसने बुरे समय को अपने उपर हावी होने दिया वह व्यक्ति उपर नहीं उठ पायेगा ! समय बहुत चंचल है अच्छा हो या बुरा ज्यादा समय किसी के पास नहीं  टिकता  है ! अच्छा समय शीघ्र ही कट जाता है लेकिन  बुरे समय को काटना पड़ता है और यदि बुरे समय को काटने की शक्ति नहीं जुटा पाए तो वह मनुष्य को ही काट देता है अर्थात मनुष्य आत्महत्या भी कर बैठता है!  

राजा हो या रंक सभी को समय के आगे नतमस्तक तो होना ही पड़ता है ! यह  समय ही था जिसके कारण राजा राम को चौदह वर्षों का वनवास भोगना पड़ा ! समय यदि सही  नहीं है तो हर सीधा दाव भी उल्टा पड़ता है और समय सही है तो व्यक्ति कुछ भी करे सही ही हो जाता  है ! इसलिए गीता में भी कहा गया है कि" समय बड़ा बलवान वही अर्जुन वही बाण" !समय की  एक और खासियत है , कि समय के पंख भी होते हैं और तब यह उड़ भी सकता है और समय रेंग भी सकता है !जब हम परीक्षा हाल  में पेपर हल कर रहे होते हैं तो हमे समय का पता ही नहीं चलता ऐसे लगता है जैसे समय को पंख लग गए हों तीन घंटे कब बीत जाते हैं पता नहीं लगता , लेकिन जब हम स्टेशन पर या बस स्टाप पर ट्रेन या बस का इंतजार कर रहे होते हैं और तभी पता लगता है की ट्रेन या बस लेट है , तो लगता है जैसे समय रेंग रहा हो ! बहुत से कालेजों में तो "समय प्रबन्धन"  एक विषय के रूप में भी पढ़ाया जाता है ! हमे जीवन में यह भी अच्छी तरह ज्ञात होना चाहिए के किस काम के लिए कितना समय दिया जाना चाहिए क्योंकि समय की भी अपनी सीमा होती है ! इसीलिए जीवन में समय का सदुपयोग करना आना चाहिए जिसने समय कि महत्ता समझ ली और समय का सदुपयोग किया वही  जीवन के हर मोड़ पर  सफल होगा और जिसने समय का दुरूपयोग किया वह हाथ मलते रह जायेगा !कुछ लोग समय को भाग्य  से जोड़ लेते हैं लेकिन भाग्य  और समय दोनों अलग अलग हैं क्यों की कुछ लोग भाग्य में नही कर्म में विश्वास  करते हैं ! 

 अत: समय बहुत कीमती है इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए ! समय की कीमत समझने  में ही बुद्धिमानी है ! 


Growing evils of drug addiction

Drug addiction is major cause of concern in our society. this evil has spread all over the world..The sad part of it is that people specially youth  is attracted to this evil. Now a days college going boys and girls and even in some cases school going children are also found involve in this activity. Addiction of drugs is certainly very dangerous and once  some one is addicted, he finds very difficult to come out of this evil.The worst part of it is drug  consumer tempted  to commit crimes also. If  drug addicts does not have the money then he tries to find some other short cut method to get it at any cost and for that he  can go to any extent Police report says that crime graph of drug addicts is rising very sharply and  in most of the cases  boys commit crime because they need money for consuming drugs.The greatest concern of our society is that number of such drug consumers is increasing very rapidly. Anti social elements are targeting the innocent boys and girls of age group of between 18-25.

Although the government  is taking all possible steps to deal with this anti social elements and also committed to rehabilitate  these innocent  victims.But  governments alone can not fight with this situation we as a society has also a moral responsibility to change its attitude  of looking at these addicts. We should have sympathy towards these drug addicts and give them a chance to bring reforms among themselves and bring them in to the main stream of the society..     . .




 

Wednesday, 8 June 2011

प्रभु ने भी मना कर दिया

एक बार भगवान मेरी भक्ति से अति प्रसन्न हुए और साक्षात् प्रगट हुए और बोले भक्त ,मै  तेरी भक्ति से प्रसन्न हुआ ! वत्स तू मुझसे  वर मांग सकता है! मै तेरी इच्छा पूर्ण करूँगा !  लेकिन तुझे वर मागने के लिए ६० सेकंड मिलेंगे और तेरा समय स्टार्ट होता है ,अब ! मुझे तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की साक्षात् भगवन मेरे सामने खड़े हैं !मेने दो बार अपने आप को चिकोटी काटी फिर मुझे विश्वास हुआ कि भगवान ही मेरे सामने खड़े हैं !एक तो सामने भगवान और उपर से उन्होंने मुझे वर मांगने के लिए भी कह दिया ! मै क्या करूँ क्या वर मांगू कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ! और उधर ६० सेकंड कि समय सीमा भी रख दी ! मेने भगवान से पूछा प्रभु फोन ऐ फ्रेंड या एक्सपर्ट ओपिनियन का आप्शन तो दो वो बोले नहीं तेरे अब केवल ३० सेकंड बचे हैं !  सोचा खुद के लिए मांगू या परिवार के लिए मांगू या फिर देश या समाज के लिए मांगू ! बहुत विचार किया और सोचा व्यक्ति व् परिवार से देश और समाज बड़ा होता है अत: देश और समाज के हित के लिए ही कुछ मागना चाहिए ! 
बहुत सोच कर मेने भगवान से कहा प्रभु आप भारत देश को भ्रष्टाचार और काले धन कि समस्या से मुक्ति दिला दो ! यह सुनकर प्रभु एकदम आग बबूला हो गए और बोले मूर्ख बालक तू मेरी अग्नि परीक्षा लेना चाहता है ! अन्ना और बाबा रामदेव का हाल देख रहा है ! सरकार दोनों को भाव नहीं दे रही  है,  फिर भी चाहता है कि  मै कुएं में कूद जाऊ ! तू क्या चाहता है कि भ्रष्टाचार को इस देश से मिटा कर इस देश को संस्कृति विहीन कर दूं ! जिस देश में लोग  छोटे से अबोध बच्चे को मनाने के लिए टाफी बिस्कुट और खिलोने का लालच दे कर उसके मन  में  लालची संस्कृति का बीज बो रहे हैं , वहां  तू मुझसे अपेक्षा कर रहा है कि मै इस देश से भ्रष्टाचार मिटा दूंगा यह असम्भव  कार्य मुझसे नहीं  होगा,  क्षमा करना और अब तेरा समय भी समाप्त हो चूका है  अब मै जा रहा हूँ ! मै चिल्लाता रहा  प्रभु मेरी बात सुनो ,  प्रभु  मेरी बात सुनो ! तभी पत्नी ने जगाया क्या हुआ ? प्रभु प्रभु क्या चिल्ला रहे थे क्या कोई सपना देखा ?

मै करवट बदल कर फिर सो गया !










Tuesday, 7 June 2011

शह और मात

बदले बदले सरकार नजर आते हैं!
इनकी बर्बादी के आसार नजर आते हैं
सारे पासे उलटे पड़ते नजर आते हैं !
अन्ना व् रामदेव, भारी पड़ते नजर आते हैं!
फ्रंट फुट पर खेलने के चक्कर में ,
बेक फुट पर खेलते नजर आते हैं !
सुप्रीम कोर्ट ,मानवाधिकार व्
महिला आयोग  से भी ,घिरे नजर आते हैं!
दुर्भाग्यपूर्ण कार्यवाही बताते हुए भी ,
मनमोहन मजबूर  नजर आते हैं!
शह और मात के इस खेल में 
प्यादे भी वजीर नजर आते हैं! 
सत्ता के नशे में चूर ये नेता ,
भी मदहोश नजर आते हैं !
राजनीती के इस कुत्सित खेल में
एक दुसरे के सर ठीकरे फोड़ते नजर आते हैं !
अरे सत्ता के गलियारों में बैठे, मठाधीशों !
बंद करो ये आरोपों प्रत्यारोपों का खेल
और कुछ देश की फ़िक्र करो क्यों की
अब जनार्धन भी आक्रोशित नजर आते हैं !






Monday, 6 June 2011

पता नहीं चला

जीवन की इस आप धापी में 
साठवे पड़ाव पर कब  पहुंचा 
पता नहीं चला !
इसकी, उसकी उलझन
सुलझाते सुलझाते  कब यंहां पहुंचा
पता नहीं चला !
इन साठ सालों का हिसाब लगाया
लेकिन नफा नुकसान का
 पता नहीं चला!
इतने सालों में,मै अपने लिये  कब जिया
पता नहीं चला!
बेटी के नन्हे हातों को पकड़कर,
चलाना सिखाते सिखाते ,
कब पोते का हाथ हाथ में आया
पता नहीं चला ! 
आज जब लगता है सब कुछ पा लिया , 
तो अभावों में बिताये दिनों का
पता नहीं चला !

 





Saturday, 4 June 2011

"सत्यनारायण की कथा"

हिन्दू समाज में किसी उत्सव अथवा मांगलिक कार्य सम्पन्न होने पर अथवा कई बार बिना किसी प्रयोजन के  भी सत्यनारायण की कथा करवाने का चलन है ! बाकायदा किसी पंडित को बुलवाकर  पूरे  विधि विधान से सत्यनारायण भगवान की कथा करवाई जाती है ! सत्यनारायण की इस कथा में चार या  पांच अध्याय है जिन्हें  पंडित जी पढकर  सुनाते  है इसके बाद आरती व् प्रसाद वितरण कार्यक्रम व यजमान पंडित जी को  दक्षिणा देकर ससम्मान बिदा करता है ! अब मै बहुत ही  संक्षिप्त में  इन अध्याओं के बारे में थोडा सा बताना चाहूँगा :
प्रथम अध्याय में पूजा के विधि विधान के बारे में बताया गया है ! पूजन सामग्री क्या होनी चाहिए व् पूजा कब और कैसे करना चाहिए आदि !
दुसरे अध्याय में भगवान विष्णु ने ब्राह्मण के रूप में प्रकट होकर व्रत का महात्म बताया और फिर निर्धन ब्राह्मण ने व्रत किया और सुखी हो गया !
तीसरे और चौथे अध्याय में अत्यंत प्रसिद्द लीलावती और कलावती  की कहानी है ! उम्मीद करता हूँ की इस कहानी से सभी परिचित होंगे !
चौथे अध्याय में अंगध्वज नामक राजा द्रारा प्रसाद का तिरस्कार करने पर दुःख भोगना पड़ा व् अंत में राजा  उन्ही ग्वालों के बीच  गया व् प्रसाद ग्रहण किया !
सत्यनारायण भगवान की कथा के इन सारे अध्यायों में इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि किस प्रकार  सत्यनारायण के व्रत की उपेक्षा करने अथवा व्रत करने का  मनोगत व्यक्त करने के बावजूद सत्यनारायण की कथा  न करने के कारण सत्यनारायण भगवान क्रोधित हो गए व् भगवान के  क्रोध/श्राप  के कारण मनुष्य को  दुःख/कष्ट झेलने पड़े!
पर मेरी शंका केवल इतनी सी है कि जैसा कि " सत्यनारायण की कथा " उचारण से किसी कथा अथवा कहानी का आभास होता है  तो वास्तव में क्या सत्यनारायण की कोई कथा है ? और यदि सत्यनारायण की कोई कथा  नहीं है तो  क्यों न इसे  "सत्यनारायण की कथा" के स्थान पर  "सत्यनारायण व्रत " के नाम से ही संबोधित करें ! ऐसी मेरी अपनी राय है !
  
 

Thursday, 2 June 2011

सौदेबाज

इस संसार में सबसे ज्यादा मतलबी जीव यदि कोई है तो वह मनुष्य ही है ! (यहाँ मेरा मनुष्य से आशय साधारण व्यक्ति से है ) ईश्वर की आराधना करता है तो केवल इसलिए की उसे डर लगा रहता है की यदि वह ईश्वर को प्रसन्न नहीं रखेगा तो वह किसी मुसीबत में पड़ सकता है !अपना काम निकलवाने के लिए वह ईश्वर से सौदेबाजी करने से भी  नहीं चूकता है ! मसलन यदि ईश्वर उसका फलां काम करवा देगा तो वह अपनी श्रद्धा अथवा काम के आकर/प्रकार के अनुसार प्रसाद चढ़ाएगा अथवा मंदिर में सोना/चांदी चढ़ाएगा वगैरह वगैरह ! अर्थात यदि ईश्वर ने उसका काम नहीं किया तो प्रसाद नहीं चढ़ाएगा ! हमारे समाज में इस सौदेबाजी को एक परिष्कृत शब्द में रूपांतर क्रर  दिया और वह है "मान्यता/मानता "! अरे ईश्वर नहीं कोई व्यापारी हो गया , भइया तुम मेरा फलं काम करवा दो मै  बदले में तुम्हे ११, २१ , ५१ जैसी श्रद्धा हो प्रसाद चढाऊंगा ! अभी मंहगाई बढ़ गयी है इसलिए इन्सान ने रेट बढ़ा दिया वरना पहले तो सवा रूपये में ही  काम चला लेता था ! ईश्वर को भी इतना फुरसती समझ लिया है कि घर में कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं मिल रही तो उसके लिए भी भगवान से  कहेंगे कि खोई हुई चीज मिल जाये तो प्रसाद चढ़ाएंगे ! अरे भगवान को जैसे और कोई काम ही नहीं, रिमोट का बटन दबाया और भगवान काम पर लग गए !
हमारे एक मित्र है उनकी लाकर कि चाबी कंही खो गयी  बहुत परेशान तुरंत भगवान को याद किया और लगा दिया उसे भी काम पर बोले हे भगवान मेरी खोई हुई चाबी मिल जायेगी तो १०१ रूपये का प्रसाद चढाऊंगा ! किस्मत कि बात दस मिनिट बात ही चाबी मिल गई ! अब प्रसाद चढ़ाने कि बारी आयी तो बोले क्षमा करना भगवान दरअसल में भावुकतावश १०१ रूपये बोल गया था ! इतने छोटे काम के लिये १०१ ज्यादा होते हैं इसलिए २१ रूपये ठीक है ! ये तो हद ही हो गयी भगवान के सामने दिए अपने वचन से ही मुकर गए और काम हो गया तो सौदेबाजी शुरू दी !अरे कुछ तो शर्म करो !    
ईश्वर के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए ! निश्चल मन से व् निष्काम भाव से याचना करना चाहिए ,सौदेबाज बनकर मांगना ठीक नहीं !चिन्मय मिशन के आचार्य गुरुदेव   कहते है कि " YOU WILL NOT GET WHAT YOU DESIRE BUT YOU WILL DEFINITELY GET WHAT YOU DESERVE AT THE RIGHT TIME AND WHAT YOU DESERVE ONLY HE (GOD) KNOWS" अर्थात जो तुम चाहते हो वह तुम्हे नहीं मिलेगा तुम्हे केवल तुम्हारी पात्रता के आधार  पर योग्य समय पर ही मिलेगा और तुम्हारी पात्रता क्या यह केवल वही (ईश्वर ) जानता है!