सौदेबाज
इस संसार में सबसे ज्यादा मतलबी जीव यदि कोई है तो वह मनुष्य ही है ! (यहाँ मेरा मनुष्य से आशय साधारण व्यक्ति से है ) ईश्वर की आराधना करता है तो केवल इसलिए की उसे डर लगा रहता है की यदि वह ईश्वर को प्रसन्न नहीं रखेगा तो वह किसी मुसीबत में पड़ सकता है !अपना काम निकलवाने के लिए वह ईश्वर से सौदेबाजी करने से भी नहीं चूकता है ! मसलन यदि ईश्वर उसका फलां काम करवा देगा तो वह अपनी श्रद्धा अथवा काम के आकर/प्रकार के अनुसार प्रसाद चढ़ाएगा अथवा मंदिर में सोना/चांदी चढ़ाएगा वगैरह वगैरह ! अर्थात यदि ईश्वर ने उसका काम नहीं किया तो प्रसाद नहीं चढ़ाएगा ! हमारे समाज में इस सौदेबाजी को एक परिष्कृत शब्द में रूपांतर क्रर दिया और वह है "मान्यता/मानता "! अरे ईश्वर नहीं कोई व्यापारी हो गया , भइया तुम मेरा फलं काम करवा दो मै बदले में तुम्हे ११, २१ , ५१ जैसी श्रद्धा हो प्रसाद चढाऊंगा ! अभी मंहगाई बढ़ गयी है इसलिए इन्सान ने रेट बढ़ा दिया वरना पहले तो सवा रूपये में ही काम चला लेता था ! ईश्वर को भी इतना फुरसती समझ लिया है कि घर में कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं मिल रही तो उसके लिए भी भगवान से कहेंगे कि खोई हुई चीज मिल जाये तो प्रसाद चढ़ाएंगे ! अरे भगवान को जैसे और कोई काम ही नहीं, रिमोट का बटन दबाया और भगवान काम पर लग गए !
हमारे एक मित्र है उनकी लाकर कि चाबी कंही खो गयी बहुत परेशान तुरंत भगवान को याद किया और लगा दिया उसे भी काम पर बोले हे भगवान मेरी खोई हुई चाबी मिल जायेगी तो १०१ रूपये का प्रसाद चढाऊंगा ! किस्मत कि बात दस मिनिट बात ही चाबी मिल गई ! अब प्रसाद चढ़ाने कि बारी आयी तो बोले क्षमा करना भगवान दरअसल में भावुकतावश १०१ रूपये बोल गया था ! इतने छोटे काम के लिये १०१ ज्यादा होते हैं इसलिए २१ रूपये ठीक है ! ये तो हद ही हो गयी भगवान के सामने दिए अपने वचन से ही मुकर गए और काम हो गया तो सौदेबाजी शुरू दी !अरे कुछ तो शर्म करो !
ईश्वर के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए ! निश्चल मन से व् निष्काम भाव से याचना करना चाहिए ,सौदेबाज बनकर मांगना ठीक नहीं !चिन्मय मिशन के आचार्य गुरुदेव कहते है कि " YOU WILL NOT GET WHAT YOU DESIRE BUT YOU WILL DEFINITELY GET WHAT YOU DESERVE AT THE RIGHT TIME AND WHAT YOU DESERVE ONLY HE (GOD) KNOWS" अर्थात जो तुम चाहते हो वह तुम्हे नहीं मिलेगा तुम्हे केवल तुम्हारी पात्रता के आधार पर योग्य समय पर ही मिलेगा और तुम्हारी पात्रता क्या यह केवल वही (ईश्वर ) जानता है!
3 Comments:
its human nature after all!!! :O
grt
its human nature, we agree with this.. n every other person is like this but its really worse if a person start bargaining for wat he himself said...
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