Sunday, 27 March 2011

ट्रेड सीक्रेट

कभी कभी हमे अनजाने में ही  व्यवहारिक जीवन की कुछ ऐसी सच्चाई पता लग जाती हैं जिनके बारे में शायद हम कल्पना भी नहीं करते !आज से लगभग १७-१८ वर्ष पूर्व ,मै मेरे श्वसुर की अस्थियाँ विसर्जित कर हरिद्वार से  दिल्ली टेक्सी से आ रहा था ! टेक्सी  चालक  का नाम सुरिंदर था और उसकी बातचीत के लहजे से लग रहा था कि वह हरियाणा का  रहने वाला है , साथ में उसका भतीजा भी था ! हरिद्वार से दिल्ली की दूरी लगभग २००-२५० कि.मी. होगी !थोड़ी देर तो इधर उधर कि बात चीत करते रहे लेकिन अंत में कोई विषय नहीं बचा तो  मैंने  नींद लेना ही उचित समझा ! गर्मी के दिन थे तो जल्दी ही झपकी  भी लग गई !

इस बीच  चाचा भतीजे अपने घर परिवार की बातें करते रहे ! उनकी बातचीत से ऐसा लग रहा था कि वो भतीजे को भी टेक्सी व्यवसाय में ही लगाना चाहता  है  ! सुरिंदर भतीजे को  टेक्सी व्यवसाय के गुर बताने लगा ! चूँकि मेरी नींद भी हो चुकी थी और थोडा फ्रेश  महसूस कर रहा था इसलिए उत्सुकता वश मै उन दोनों कि बातें ध्यान से सुनने लगा !चाचा उसे  बता रहा था टेक्सी चलाते समय सामने वाले वाहन चालक से यदि यह पूछना हो कि आगे आरटीओ कि चेकिंग चल रही है अथवा नहीं तो एक विशेष प्रकार का इशारा करके पता लगाना चाहिए! लेकिन चँकि आरटीओ इन सब लटकों  झटकों से वाकिफ होतें है इसलिए इस तरह इशारा करके पूछने में     एक खतरा यह भी  रहता है, कि कई बार आरटीओ स्वयम ही वाहन में बैठा होता है और वह खुद ही इस तरह का इशारा करके सामने वाली गाडी को ट्रेप कर लेता है ! मुझे उसकी  बातों में मजा आने लगा और मैं भी ध्यान से उन दोनों कि बातें सुनने लगा ! 
बातों बातों में एक बात जो उसने अपने भतीजे को बताई वो आज भी मैं नहीं भूल पाया हूँ ! उसने कहा बाकि तो सब ठीक है भतीजे पर एक बात गांठ बांध कर याद रखना,  आरटीओ का व् ट्रांसपोर्ट व्यवसाय वालों का रिश्ता पति-पत्नी से भी ज्यादा गहरा होता है ! दोनों का एक दुसरे से कुछ भी छुपा नहीं होता है ! एक बार रिश्तेदारों से संबंध बिगाड़ सकते हो लेकिन आरटीओ से नहीं ! आरटीओ का कुत्ता भी मर जाये तो मातम पुरसी के लिए जाना मत भूलना लेकिन , लेकिन, खास और सबसे ध्यान देने वाली बात  कि    यदि आरटीओ  खुद  मर जाये तो उसके घर जाने कि कोई जरुरत नहीं है ,बल्कि नये आने वाले आरटीओ  के स्वागत के लिए सबसे पहले पहुँच जाना !   
उसकी अंतवाली बहुमूल्य व्यवहारिक सलाह सुन कर मैं एकदम अवाक् रह गया और सोचने लगा कि क्या  सचमुच व्यवसाय में आदमी को इतना व्यवहारिक होना चाहिए ?

3 Comments:

At 27 March 2011 at 09:49 , Blogger Genie said...

hmm.. that is infact the trade culture ...being social is not enough...you have to be social with special people.

 
At 28 March 2011 at 04:13 , Blogger sid said...

Yes, one needs to be as shrewd as that taxi driver to survive and progress.

 
At 2 April 2011 at 09:07 , Blogger ranu said...

I still remember..u narrating the story!! :)
Nice one again...

 

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