Sunday 31 October 2010

मंदिर-मस्जिद विवाद, एक स्थायी हल

मै  सुधीर वाडीकर अभिव्यक्ति के इस माध्यम के जरिये आज एक ऐसे विषय को छूने जा रहा हूँ जो कि बहुत ही नाजुक है , यह  विषय है राम जन्म भूमि -बाबरी मस्जिद विवाद . मेरी बात रखने से पहले मै इस मसले से जुड़े सारे पक्षों,तमाम  बुध्धिजीवियों,साधू संतों मौलवियों ,नेताओं.राजनेतिक दलों व् विषय से प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी लोगों से माफ़ी चाहूँगा क्योंकि इस  ज्वलंत विषय   पर मेरे विचार प्रगट करना "छोटा मुंह बड़ी बात" होगी.चूँकि हमारे देश में हर व्यक्ति को अपने विचार प्रगट करने कि आजादी है इसी अधिकार के तहत काफी संवेदनशील   मसले पर अपनी राय प्रस्तुत करने कि हिमाकत कर रहा हूँ
पिछले ६० वर्षों से उपरोक्त मामला न्यायलय में चल रहा था और हाल ही में  हाइकोर्ट  ने उक्त विवाद पर अपना फैसला दिया है और इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाने वाली है. यानि अंतिम  फैसले के लिए फिर इंतजार. जब कोई भी विवाद न्यायलय में जाता  है और जब निर्णय आता है तो सामान्तया फैसला  एक के  पक्ष जाता  है और दूसरे के विरुद्ध  है.उपरोक्त विवाद में यही होना अपेक्षित है .अत: मेरा ऐसा मत है सभी पक्षों को  साथ में बैठ कर अपना अपना दावा छोड़कर इस विवादित ज़मीन को एक ट्र्स्ट के नाम कर देना चाहिए  और सरकारी व् गैर सरकारी  सहायता से इस जमीन पर भव्य अस्पताल बनाना चाहिए जिसमे उच्चतम तकनीक सहित सारी चिकित्सीय  सुविधाए आम आदमी को उपलब्ध हो . ताकि हिन्दू या मुसलमान नही बल्कि सारी मानव जाति  लाभान्वित   हो सके.क्योकि यदि सारे पक्ष इस बात पर सहमत हो जाते है तो  यह स्थिति सारे पक्षों के लिए विन विन स्थिति होगी अर्थात" न तू जीता और न मेरा हारा".यदि सारी मानव जाति  का कल्याण होगा तो मेरा ऐसा मानना है कि भगवान राम हो या अल्लाह दोनों ही प्रसन्न होंगे. क्योंकि मानव सेवा ही प्रभु सेवा है. और सभी धार्मिक ग्रन्थों मै लिखा है कि ईश्वर/अल्लाह  सब इन्सान के अंदर ही बसता है  यदि हम ऐसी मिसाल कायम करने में सफल होते है तो इसमे सभी पक्षों कि अहम  की  भी तुष्टि  होगी.और  दुनिया को वसुदैव कुटुम्बकम का सन्देश देने वाला यह देश पूरे विश्व में सर्वोच्य स्थान प्राप्त कर सभी के लिए एक मिसाल बन जायेगा
.मैंने  अपनी सोच के आधार पर एस विवाद को सुलझाने कि दिशा में एक सुझाव प्रस्तुत किया है और  मै समझता हूँ  कि यदि सभी पक्ष ईमानदरी से ,संकीर्णता के चोखट के बाहर आकर बिना किसी पूर्वाग्रह के,समाधान  खोजने कि नीयत  से इस पर विचार करे तो जैसे मेने उपर कहा कि सभी लोगों के लिए यह विन विन सिच्युशन होगी.इए प्रस्ताव को व्यवहार में कैसे लाना उसकी कार्यप्रणाली क्या होगी इन तमाम विषयों  पर  साथ बैठ कर विचार किया जा सकता है और ये सभी विषय अत्यंत गौण है.मुख्य मुद्दा है मानव जाति के  हित में अहम के त्याग का.क्या हमारे साधू संत, बुद्धिजीवी,मौलवी नेता राजनेता सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता पूरी मानव जाति के हित में संकीर्ण विचारों से उपर उठकर , विशाल ह्दय का परिचय देंगे तो समस्या  का सर्वमान्य  हल  अवश्य निकल आएगा. इस सम्बन्ध में गैर सरकारी सामाजिक संस्थाएं  भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है
इस सुझाव पर विचार प्रगट करने हेतु मै सभी देशवासियों को आमंत्रित करता हूँ.समस्या के समाधान   के प्रति आशान्वित हूँ. आशा करता हूँ कि भगवान राम,रहीम ,अल्लाह,मामले से जुड़े सभी पक्षों को सदबुधि देंगे .
धन्यवाद
                                                     
 सुधीर वाडीकर                  

1 Comments:

At 16 November 2010 at 01:48 , Blogger Unknown said...

Nice thought...only if people could also feel the same...but the ignorant-illiterate-over religious and stupid people are so arrogantly adamant that they would never stop fighting.

It's so ironical at times, they say they follow some God, but tell me this thing, which form of God supports violence, killing and chaos ???

If they are 'allah ke bande', they would never ever do this....

 

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