Thursday 28 October 2010

.श्री टेम्बे सा एक निर्मल व्यक्तित्व

मै आज आप लोंगो का परिचय एक ऐसे  व्यतित्व से कराने जा रहा हूँ जिसका नाम है श्री रामचन्द्र राव टेम्बे  है . आज वो हम लोंगो के बीच में नही हैं. .वेसे तो यह व्यक्तित्व हम आप की तरह ही साधरण व्यक्ति थे ए. जी.ऑफिस में नौकरी करते थे. भरापुरा परिवार था . आम  आदमी  की तरह सामान्य सा जीवन यापन क्रर  रहे थे . 


यंहां  मै उनके व्यक्तित्व के बारे में आप लोंगो को बताना चाहता हूँ.जैसा उनका नाम था नाम के अनुरूप ही उनका व्यक्तित्व था. रामायण में भगवान राम के चरित्र को कर्तव्य बोध के रूप में प्रस्तुत किया गया है. अर्थात राम एक कर्तव्य बोध के प्रतिक  के रूप में है.एक व्यक्ति का मां,पिता पत्नी ,भाई,समाज,देश/राज्य गुरुजन के प्रति क्या कर्तव्य है
.श्री टेम्बे सा. भी अपने कर्तव्य के प्रति काफी सजग थे. वैसे उनकी प्रष्टभूमि काफी संपन्न घराने से थी.लेकिन समय के चक्र के कारण बाद में  अभावों   का भी स्वाद चखना पड़ा . लेकिन उन्हें इस बात का लेश  मात्र भी रंज  नही था . जैसे भी थे हर हाल में खुश थे.घर में कमाने वाले वो अकेले साथ में भाई बहनों की पढाई /शादी की जिम्मेदारी, लेकिन मजाल है जो चेहरे पर शिकन हो. उन्हें कभी किसी से कोई शिकायत थी ही नही.यंहां  एक बात अवश्य  कहना चाहूँगा की इस कर्तव्य निर्वाहन में उनकी धर्मपत्नी भी बराबर की साझीदार थी.शायद उनके सहयोग के बिना जिम्मेदारी जिम्मेदारी  अच्छे से निभाना असंभव था.मेरे   बारह वर्षो के सहवास मे मेने  उन्हें कभी गुस्सा होते हुए नही देखा. राग क्रोध द्वेष घृणा लालच   ये सारे शब्द शायद उनके शब्दकोष में ही नही थे.


इतने  वर्षों में मुझे याद नही है कि  उन्होंने कभी  किसी का अपमान किया हो या किसी के प्रति अपमान जनक  शब्दों का प्रयोग किया हो. ऐसा लगता है   की उनको  को  अपशब्द  या किसी के प्रति द्वेष का भाव , ,स्पर्श भी नही कर पाया  .वो  अक्सर कहा   करते  थे  की  इन्सान को कितना भी गुस्सा आये लेकिन उसे  अपना विवेक कभी भी नही खोना चाहिए इन्सान को हमेशा अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए. और ऐसा वह  न केवल कहते थे  बल्कि इन बातो  को स्वयं भी अमल में लाते थे 
 ऑफिस में  टेम्बे सा  जब  पहुचते    थे तो लोग अपनी घडी  मिलाते थे  क्योंकि  अपनी ४० वर्षों की नौकरी में कभी भी ऑफिस लेट नही  पंहुचे .हालाँकि कभी कभी नवरात्री के समय इस बात को लेकर उनकी पत्नी अवश्य मजाक में कहती थी एक दिन ए.जी.ऑफिस में लेट पहुंचोगे  तो पहाड़ नही टूट पड़ेगा
 लेकिन उन्होंने अपने सिदान्तों  से कभी समझोता नही किया.. जितने वे सिदान्त  प्रिय थे उतने ही संवेदन शील भी थे. वे हमेशा कर्म में विश्वास रखते थे. ईश्वर के प्रति श्रद्धा अवश्य थी लेकिन किसी प्रकार के आडम्बर में  विश्वास नही रखते थे  
एक बार वह कोल्हापुर से पूना बस से आ रहे थे परन्तु खंडाला घाट में उनकी बस का एक्सीडेंट हो गया  बस ८ooफीट नीचे खाई में गिर गयी दोनों पति पत्नी को काफी चोटें आई लेकिन ६-८ माह के बाद दोनोंबिलकुल ठीक हो गए .उन दोनों को देखकर कोई यह नही कह सकता था की इतनी बड़ी दुर्घटना इन दोनों   के साथ घटी होगी. इस दुर्घटना के कुछ सालों के बाद  उनको एक जबरदस्त दिल का दौरा भी पड़ा लेकिन उनकी इच्छा शक्ति के बूते पर वो फिर उठ खड़े हुए .

९जून  १९९० को उन्हें दिल का दौरा पड़ा. वो  सोला पहने हुए पूजा कर रहे थे और  व् उसी अवस्था में  ही ईश्वर के सामने गिर पड़े और टेम्बे सा  हम सब को छोड़कर चले गए. 
ऐसी   मौत  तो टेम्बे सा  जैसे पुण्यात्मा को ही नसीब  हो सकती है . राम के आदर्शों को जीने वाले रामचन्द्र  टेम्बे आज हमारे  बीच नही है लेकिन उनका आशीर्वाद सदेव हमारे साथ है.
मै इसे अपना सौभाग्य समझता हूँ कि   इतने बड़े व्यक्तित्व के साथ कुछ सालो तक मेरा भी सानिध्य रहा  
 टेम्बे सा  जैसे पूजनीय /वन्दनीय  व्यक्तित्व को शत शत नमन 
     

2 Comments:

At 28 October 2010 at 09:54 , Blogger sid said...

Umra mei chota hu aur kaafi kam samay tak hi apne aajoba ka sanidhya paa saka parantu unki ki hi ek jhalak apne baba mei mehsoos karta hu.
kabhi dhan ko lekar dhambh ya trushna , humare tembe gharane mei utpann hi nahi hui. humesha sad vicharo se bhare is bhare poore parivar ki yahi jama poonji hai.
Humare aajoba jinhe hum pyar se anna kehte they, ek karishmayi vyaktitava ke dhani they. Aapne unki khubiyo ka bakhubi chitran kiya hai, vyakaran mei trutiya bhi lekhan mei chupi bhavanao ke saamne bauni nazar aati hai...

Jaisa ki apeksha thi, aap ke is lekh ne antarmann ko chu liya aur kahi na kahi man ko koi hissa nam kar gaya

 
At 16 November 2010 at 10:20 , Blogger Genie said...

about anna ajoba....i only remember he taking me around Gwalior in a tanga..... but i believe that it was somewhere in the genes that passed on from him by the virtue of which even i have this quality of controlling anger.... not bragging here ...just making a point! :D

Wish I had spent some more time with you anna ajoba :)

 

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