माय डैड
- मेरे पिताजी ने ३१दिसम्बर १९९९ को अंतिम साँस ली थी वेसे जब उनका देहांत हुआ तब उनकी आयु लगभग ९० वर्ष थी वेसे उनको कोई बीमारी नही थी लेकित कहते है न की ओल्ड एज ही अपने आप में बड़ी बीमारी है माँ के देहांत के बाद लगभग दस वर्ष तक वह जीवित रहे हम लोग उन्हें बाबा कहते थे
- हम लोग ग्वालियर में रहा करते थे . ग्वालियर में सर्दी भंयकर पडती है. कभी कभी तापमान शुन्य से भी नीचे चला जाता था बाबा को सर्दी वैसे ही बहुत सताती थी.नहाना ! और वो भी ऐसे मौसम में ना बाबा ना.हम लोग उनको नहाने के लिए कहते तो पहले तो मना ही करते थे. लेकिन ज्यादा जोर दिया तो हमारी संतुष्टि के बाथरूम में जाकर नहाने की एक्टिंग करते थे वैसे वो हमारे बाप तो थे ही
- एक बार काफी दिनों तक भयंकर सर्दी पड़ी बाबा को तो नहाने के नाम से जैसे चिढ थी. लगभग आठ दस दिन हो गए थे बिना नहाये हुए मैंने ने काफी समझाने की कोशिश की नहालो अच्छा लगेगा .लेकिन बाप हठ के आगे मुझे झुकना पड़ा .आठ दस दिन और इसी तरह निकल गए . आखिर मेने भी एक दिन जिद पकड़ ली की आज तो नहाना ही पड़ेगा .मैंने सरसों के तेल से बाबा की काफी देर तक मालिश की फिर अच्छे गरम पानी से उनको नहलाया फिर टॉवेल से बदन पोछने लगा तब वो अचानक भावुक हो गए और बोले की इससे ज्यादा सेवा श्रवण कुमार ने भी नहीं की होगी.
- बाप रे! बाबा के वे शब्द सुनकर मै एकदम अवाक् रह गया .एक बाप उसके बेटे की तुलना श्रवण कुमार से कर दे , बेटे के लिए इससे बढ़कर कोई आशीर्वाद हो ही नहीं सकता .मै भावुक हो गया और मेरे आँखों से आंसू छलक पड़े.आज भी उनके कहे वाक्यों को याद करता हूँ तो लगता है मेरा जीवन तो धन्य हो गया.
3 Comments:
I miss my Dad :(
पुत्र हो तो ऐसा
पुत्र हो तो ऐसा
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